अभी तक निपटे निर्वाचन के दो चरणो मे मतदान काप्रतिशत काफ़ी कम रहा।विचारणीय प्रश्न, यह है ;की आज के समय मे जब आम आदमी संचार क्रांती के माध्यम से शीघ्र सभी मुद्दो से ,घटनाओ से, प्रक्रियाओ से अवगत होता है।सुदूर गाँव मे भी सभी माध्यमो से लोग छोटी से छोटी घट्नाओ को जान लेते है।शहरो की तो बात ही क्या है ।
मगर आज भी मतदान का प्रतिशत कम होना इस बात का परिचायक है की आज भी समाज मे जाग्रती नहीं आयी ।सन १८५७ मे लोगो ने क्रांती के प्रसार हेतु रोटी ,कमल जैसे प्रतीक माध्यमो का सहारा लिया। आज के समय मे टीवी,रेडिओ ,मोबाईल फ़ोन ,एस. एम.एस.,इन्टरनेट इतने उन्नत माद्यमो के बावजूद जाग्रती कि लहर दिखाई नहीं देती।
एक अभीयान पल्स पोलीयो जिस मे हर बच्चे को दवा पिलाना जब ध्येय बनाता है; तो हर माद्यम से लोगो को जाग्रत किया जाता है ।रेल्वे स्टेशन ,बस स्टेंड हर जगह जा कर दवाई पिलाई जाती है। शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कीया जाता है।
तो क्या हमारे समाज कि कमजोरी ,"मतदान नहीं करना है"। इस बिमारी ,इस कमजोरी के इराडिगेशन के लिये कोई सशक्त अभीयान नहीं चलाया जा सकता। जो विग्यापन इत्यादी चलाए जाते है वे पर्याप्त नहिं है ।चुनाव के पूर्व सरकार ,समाजिक संस्थाऎ तथा पूरेचौथा स्तंभ को पुरजोर तरीके से "सभी मतदान करे" ऎसा अभियान चलाया जानाचाहिये । मतदान नहीं करना एक बिमारी है ।क्यो नही किया जाता इस बिमारी का उपचार ? नतिजन कमजोर सरकार और स्पष्ट जनाधार नहीं पाए लोग सत्ता पक्ष में बैठ ,अपनी मनमानी करते है।
संचार के सभी माध्यमो से यह बात समाज के प्रत्येक आदमी तक क्यो नहीं पहूँचती की,स्थानीय मुद्दो के लिये केन्द्र मे बनने वाली सरकार के मतदान की उपेक्षा करना,बहिष्कार करना गलत है ।बल्की समाचार पत्र इन खबरो को प्रमुखता से छापते है की ,फ़लाने वार्ड के लोगो ने ,फ़लाने मुहल्ले के लोगो ने,फ़लाने गाँव केलोगो ने सड़क ,बीजली , पानी के मुद्दो पर मतदान का बहिष्कार करने क ऎलान किया, क्या यह ठीक है ?
मिडीया ,सरकारी ,सामाजिक संस्थाओ ,कार्पोरेट ,फ़िल्मी कलाकार, खिलाड़ीयो सभी को आमजन को शत प्रतिशत मतदान हेतु प्रेरित करना होगा।जब चलित विद्यालय ,चलित ए.टी .एम. ,चलित पोलियो दवा के बूथ ,चलित दवाखाने हो सकते है, तो चलित चुनाव केन्द्र क्यो नहीं? चुनाव प्रक्रिया कई चरणो मे होती है; तो मतदान दो या तीन दिनो तक क्यो नहीं?
हर मतदाता के मत कि कीमत है ; समझना ,समझाना होगा ।निर्वाचन प्रक्रिया मे बदलाव कर; हर वोट को संग्रहीत करना होगा।समग्र जन जाग्रती होगी, उसी दिन यह सही मानो मे निर्वाचन होगा ।
एक नयाबदलाव हो । काश यह पहल हो ।
शनिवार, 25 अप्रैल 2009
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आपका लेख अच्छा लगा।परन्तु चुनाव प्रक्रिया सुरक्षा कारणो से कभी इस तरह नही हो सकती।.......लिखते रहे।
जवाब देंहटाएंnai soch , achha hai
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है आपने और सत्य भी , शानदार लेखन के लिए धन्यवाद ।
मयूर दुबे
अपनी अपनी डगर
Very impressive. par aapko lagta hai hamare paas chunne k liye yogya neta hai?? Kise chune salo se parivarik rajniti kar rahi party ko ya khud davao par jee rahe rajnetao ki party ko.
जवाब देंहटाएंye padhakar me kahana chahunga ki election commision ko voting percentage badhane k liye acchi aur kargar technology ko istemaal karna chaiye.jisse ki log apne matadhikaar ka khulkar or bahut hi suvidhjank tarike se prayog kar sake.
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